नालागढ़ — प्रदेश का अग्रणी औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन ब ेशक निवेशकों की पहली पसंद बना रहा लेकिन अगर यहां योजनाबद्ध व व्यवस्थित तरीके से औद्योगिक विकास की नींव रखी जाती, तो यहां निवेश का आंकड़ा कई गुना ज्यादा होता। औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन में भले ही अब तक 8263.68 करोड़ के निवेश से 1573 उद्योग स्थापित हो चुके हैं, लेकिन योजना के अभाव में यहां बेतरतीब ढंग से उद्योग लगाए गए, जिससे जहां इलाके का नक्शा बिगड़ा, वहीं भूमि की भारी किल्लत, आधारभूत ढांचे की कमी ने कई बड़े निवेशकों के कदम रोक दिए। वर्ष 2002 में केंद्र से मिले विशेष औद्योगिक पैकेज के बाद कोई ऐसी कारगर योजना नहीं बनाई गई, जिसके आधार पर उद्योगों को व्यवस्थित ढंग से बसाया जा सके। उस दौरान पैकेज के आकर्षण से उद्योगों की बाढ़ सी इस इलाके में आ गई, जिसके फलस्वरूप निवेशकों का जहां मन किया, वहीं उद्योग लगा लिए, जिसका खामियाजा आज स्थानीय लोगों के साथ-साथ खुद उद्योगपति भी भुगत रहे हंै। कारण यह कि अव्यवस्थित ढंग से हुए औद्योगिकीकरण के कारण उन्हें आधारभूत ढांचे की खासी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है। यही वजह रही है कि आज कई उद्योग संपर्क मार्गों, पर्याप्त बिजली व पानी की कमी से जूझ रहे हैंैैैै। पैकेज की अवधि में उद्योगों की रेलमपेल के बीच प्रापर्टी डीलरों ने चांदी कूटते हुए यहां-वहां कंपनियों को जमीनें खरीदवा दीं, जिसके चलते अकसर कई बड़े औद्योगिक घरानों को एक साथ जमीन का बड़ा हिस्सा मिलने में दिक्कतें आईंैैैैै। वर्ष 2005-06 में हीरो होंडा कंपनी ने भी बीबीएन में निवेश की खासी कोशिशें कीं, लेकिन भूमि की कमी के चलते उन्हें निवेश से हाथ पीछे खींचना पड़ा। हीरो होंडा की वापसी से अशोका लेलैंड, बजाज आटो ने भी निवेश का मन बदल लिया। पड़ोसी राज्य पंजाब-हरियाणा की सीमा से सटे होने का फायदा बीबीएन को मिला और यह सीमांत क्षेत्र हजारों करोड़ के निवेश को भुनाने में काफी हद तक सफल भी रहा, लेकिन तत्कालीन सरकार व प्रशासन ने इस कड़ी में कोई कारगर योजनाएं नहीं बनाई, जिस कारण हजारों करोड़ का निवेश भूमि की कमी, सड़कों की खस्ता हालत व आधारभूत ढांचे के अभाव में छिटक गया। हालांकि बीबीएन में निवेश का कोई लक्ष्य निर्धारित नहीं था, लेकिन अगर योजनाबद्ध ढंग से पैकेज को भुनाया जाता और इस क्षेत्र को नोएडा की तर्ज पर बसाया जाता, तो यह क्षेत्र देश का सबसे बड़ा व आदर्श औद्योगिक क्षेत्र होता। बीबीएन के सुनिश्चित व समुचित विकास के लिए वर्ष 2006 से मास्टर प्लान बनाने की योजना चल रही है, लेकिन यह प्लान आज दिन तक कागजी कार्रवाई से अगली सीढ़ी नहीं चढ़ सका है। उधर, इस बाबत उद्योग विभाग के सदस्य सचिव तिलक राज शर्मा ने कहा कि यह सही है कि अगर योजनाबद्ध ढंग से औद्योगिकीकरण होता, तो आज निवेश का आंकड़ा कहीं आगे होता। उन्होंने कहा कि उस दौरान भूमि की कमी से भी कई निवेशकों को यहां से लौटना पड़ा, साथ ही पैकेज की मियाद घटने से भी हजारों करोड़ का प्रस्तावित निवेश प्रभावित हुआ। उन्होंने कहा कि आज भी बीबीएन उद्यमियों की पहली पसंद है। इस आकर्षण को भुनाने के लिए पांच हजार बीघा भूमि का लैंड बैंक बनाया गया है, ताकि निवेशकों को भूमि की किल्लत न हो। गौरतलब है कि बेतरतीब निर्माण से उद्योगों के लिए जगह घटती जा रही है, जिसका खामियाजा उद्योगपतियों के साथ-साथ प्रदेश सरकार को भी झेलना पड़ रहा है, क्योंकि एक तरफ तो कंपनियां यहां आने से मना कर रही हैं, दूसरी ओर करोड़ों का निवेश भी दूसरे राज्यों में जा रहा है। इसका सीधा असर प्रदेश की आर्थिकी पर पड़ रहा है। अगर एक सुव्यवस्थित योजना के अनुसार यह उद्योग लगाए जाते, तो इस तरह की परेशानी सामने नहीं आती।
May 8th, 2011
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