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Wednesday, 23 February 2011

ऑनलाइन क्लीयरेंस सुविधा जी का जंजाल

नालागढ़ —  राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा उद्योगपतियों की सहूलियत के लिए शुरू की गई आनलाइन क्लीयरेंस सुविधा आफत का सबब बन गई है। हालात यह है कि प्रदेश भर के सैकड़ों उद्योगों के  विभिन्न संबंधित क्लीयरेंस मामले अरसे से लंबित पड़े हैं। बोर्ड निरंतर उद्यमियों को लंबित पड़े मामलों को जल्द निपटाने की दलीलें देता रहता है, लेकिन असलियत आए दिन बढ़ रही भुगतभोगी उद्यमियों की तादाद के सामने आ गई है। प्रदेश की औद्योगिक राजधानी बीबीएन में ही ऐसे कई उद्योग है, जो उद्योग की स्थापना के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की क्लीयरेंस की विगत अप्रैल माह से राह ताक रहे है। इसके अलावा बोर्ड के समक्ष सैकड़ों लाइसेंस नवीनीकरण, कंसेट टू आपरेट, कंसेट टू इस्टेबलिश व आथरजाइजेशन के मामले लंबित पड़े हैं, जिन्हें छह माह के अरसे से फाइलों की धूल ही नसीब हो सकी है। बेशक पांच जून, 2009 को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने उद्यमियों को दफ्तरों के चक्कर काटने की प्रक्रिया से निजात दिलाने के लिए आनलाइन क्लीयरेंस का शुभारंभ किया था, लेकिन यह सुविधा उद्यमियों के लिए राहत की बजाय आफत का सबब बन गई है। आनलाइन क्लीयरेंस का वेबसाइट को इतना पेचीदा बनाया गया है कि उद्यमी इसे बिना बोर्ड के अधिकारियों की मदद के आपरेट ही नहीं कर पाते। किसी भी क्लीयरेंस की ताजातरीन स्थिति के संबंध में इस वेबसाइट पर उद्यमी के लिए हमेशा संशय की स्थिति बनी रहती है, उन्हें यह आसानी से पता ही नहीं चल पाता कि उनका केस किस स्टेज पर है। हद तब होती है, जब बोर्ड के अधिकारियों द्वारा लगाए गए प्रश्नचिन्ह को सुलझाने के बावजूद मामले छह-छह माह तक अटके रहते हैं। उद्यमियों का तर्क है कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आनलाइन सुविधा को जितना प्रभावी और तीव्र मानता है, उससे ज्यादा जल्दी तो पहले मामले निपटा लिए जाते थे। नालागढ़ उद्योग संघ के अध्यक्ष प्रेम शर्मा ने कह कि केंद्रीय औद्योगिक पैकेज की मियाद समाप्त होने के बाद उद्यमियों को उम्मीद थी कि उन्हें घर-द्वार सुविधा देने का प्रयास किया जाएगा, लेकिन नतीजे इसके उल्ट ही रहे। उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि बोर्ड की आनलाइन क्लीयरेंस सुविधा यूजर फे्रंडली नहीं है, बल्कि यह परेशानियां बढ़ाने का काम कर रही है। बीबीएन औद्योगिक क्षेत्र सौ  ज्यादा मामले लंबित हैं। इतने ही मामले परवाणू, सिरमौर, ऊना, कांगड़ा व बिलासपुर के उद्योगों के है। बताया जा रहा है कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नवनियुक्त सदस्य सचिव ने इन तमाम मामलों का संज्ञान लेते हुए बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारियों को शिमला तलब कर 15 दिन के भीतर लंबित मामलों को निपटाने के निर्देश दिए गए हैं। हिमाचल दवा निर्माता संघ के अध्यक्ष संजय गुलेरिया ने कहा कि कई उद्यमियों ने कई मर्तबा आनलाइन क्लीयरेंस के कारण पेश आ रही दिक्कतों को बोर्ड के समक्ष रखा है। उधर, इस बाबत राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव एसके सिंगला ने कहा कि उनके ध्यान में ऐसा कोई मामला नहीं है, जो लंबे समय से लंबित हो।
February 24th, 2011

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