नालागढ़ — नालागढ़ उपमंडल के दभोटा गांव में नया औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के लिए जारी भूमि अधिग्रहण की सूचना पर ग्रामीण भड़क उठे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि वह अपनी भूमि को किसी भी कीमत पर नहीं देंगे, चाहे इसके लिए उन्हें आमरण अनशन व धरना प्रदर्शन करने का रास्ता भी अख्तियार करना पड़ा तो वे पीछे नहीं हटेंगे। सोमवार को ग्रामीणों का करीब 60 लोगों का एक प्रतिनिधिमंडल बीडीसी सदस्य लशविंद्र सिंह के नेतृत्व में एसडीएम नालागढ़ शुभकरण सिंह से मिला और उन्हें अपनी समस्याओं से संबंधित ज्ञापन सौंपा। सौंपे ज्ञापन में उन्होंने कहा है कि वह अपनी जमीन किसी भी कीमत पर विभाग को नहीं देंगे। प्रतिनिधिमंडल का कहना था कि इस अधिसूचना के जारी होने के 15 दिनों के भीतर ग्रामीणों को अपनी आपत्तियां दर्ज करवानी हैं, लेकिन उन्हें इसकी समय पर सूचना नहीं मिली और अब जब कहीं से उन्हें इसकी जानकारी मिली, तो आपत्तियां दर्ज करने का समय बहुत कम रह गया है, जो तीन मार्च है। ऐसे में क्षेत्र के लोग अपनी आपत्तियां दर्ज करवाने में असहाय महसूस कर रहे हैं। प्रतिनिधिमंडल में आए बीडीसी सदस्य लशविंद्र सिंह, लेखराम, रतन चंद, सोहन सिंह, सुच्चा सिंह, अजमेर सिंह, सोहन लाल, भूपेंद्र सिंह, गुरपाल सिंह आदि दर्जनों लोगों का कहना था कि ग्रामीणों को इसकी समय पर सूचना नहीं मिली है, जिसके चलते आपत्तियां दर्ज करवाने का समय बहुत थोड़ा रह गया है। ग्रामीणों का कहना है कि चार-पांच माह पूर्व करीब 580 लोगों द्वारा हस्ताक्षरित ज्ञापन मुख्यमंत्री को सौंपा गया है, जिसमें कहा गया है कि वह अपनी भूमि को किसी भी कीमत पर नहीं देना चाहते है, क्योंकि इस गांव की भूमि सिंचित है और ग्रामीणों का एकमात्र साधन कृषि है। इसके बारे में बाकायदा महिला मंडल दभोटा ने भी एक प्रस्ताव पारित किया है कि दभोटा एक ग्रीन बैल्ट क्षेत्र है और इस गांव में करीब 850 परिवार गुजर-बसर करते हैं। प्रस्ताव में बताया गया है कि यहां ज्यादातर लोग बीपीएल एवं गरीब परिवार से संबंधित है तथा उनके पास जमीन के अलावा रोजी-रोटी का अन्य कोई साधन नहीं है। प्रतिनिधिमंडल में आए बसपा के प्रदेश महासचिव राम सिंह सैणी सहित दर्जनों ग्रामीणों का कहना है कि वह अपनी भूमि को किसी कीमत पर नहीं देंगे। एसडीएम नालागढ़ शुभकरण सिंह ने बताया कि भूमि अधिग्रहण को लेकर दभोटा गांव का एक प्रतिनिधिमंडल उनसे मिला है, जिस पर उन्होंने ग्रामीणों को कहा कि वह अपनी आपत्तियां दर्ज करवा सकते हैं, जिन्हें आगामी कार्रवाई के लिए सरकार को भेज दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पटवारी को उन्होंने आदेश दे दिए हैं कि वह अपने कार्यालय में ही उपस्थित रहें और ग्रामीणों का पूरा सहयोग करें।
February 22nd, 2011
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