नाहन — पर्यावरण समिति नाहन ने पर्यावरण संरक्षण में एक अनूठी मिसाल पेश की है। समिति ने अपने कार्यकाल के मात्र छह सालों में शहर की ऐतिहासिक सैरगाह शमशेर विला में 1200 पेड़ों का रोपण कर शहरवासियों को स्वच्छ वातावरण प्रदान किया है। पर्यावरण सोसायटी के इस प्रयास की जहां खुलकर सराहना हो रही है, वहीं शहर के नागरिक भी इसे ऐतिहासिक कदम बता रहे हैं। जानकारी के मुताबिक वर्ष 2005 में शहर के बुद्धिजीवी वर्ग द्वारा पर्यावरण संरक्षण समिति का गठन कर शहर में पर्यावरण बचाव के अनेक अभियान छेड़े गए। समिति ने अपने कार्यकाल में नाहन की प्रमुख रियासतकालीन सैरगाह में अनेक अभियानों के माध्यम से शहर की प्राचीन धरोहर को जीवनदान दिया है। समिति ने इस दौरान समय-समय पर सेरगाह में लगभग 1200 पौधों का रोपण किया, जिसमें से करीब एक हजार हरे भरे पेड़ आज भी धरती को अलंकृत कर रहे हैं। समिति के अध्यक्ष डा. सुरेश जोशी ने बताया कि गत छह वर्षों में समिति ने शहर के विभिन्न स्कूलों, नागरिकों, संस्थानांे को अपने साथ जोड़कर रियासतकालीन धरोहर का जीर्णोंद्धार किया है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के साथ शहर की ऐतिहासिक धरोहरें भी हमारी संपत्ति हैं, जिनका संरक्षण प्रत्येक नागरिक का कर्त्तव्य है। उन्हांेने बताया कि वर्ष 2005 में गठित पर्यावरण समिति के सदस्यों ने तत्त्कालीन अरण्यपाल नारायण अप्पा व डीएफओ वाईवी गुप्ता से मंजूरी प्राप्त कर सैरगाह को नया रूप देने का बीड़ा उठाया था। उन्हांेने बताया कि समिति द्वारा प्रतिवर्ष उक्त स्थल पर स्कूली बच्चों, एनएसएस स्वयंसेवकों तथा शहरी नागरिकों के माध्यम से पौधारोपण किया जाता है। समिति अब 1200 से अधिक पेड़ सैरगाह मेंे रोप चुकी है, जिसमें से एक हजार से अधिक पौधे आज पेड़ बन चुके हैं, जबकि करीब 250 पौधे मौसम की मार का शिकार बन गए थे। उन्होंने बताया कि आरंभ काल में समिति द्वारा टैंकरांे के माध्यम से पौधों की सिंचाई की जाती थी, परंतु अब समिति के पास बजट का अभाव होने के कारण बहुत से पौधे सूख जाते हैं।
May 5th, 2011
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