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Monday, 14 March 2011

बकरियों का बैंक

बैंकों से रुपए का लेन-देन तो आम बात है, लेकिन उत्तर प्रदेश में एक बैंक ऐसा है, जहां बकरियां निकाली या जमा की जाती हैं। वैसे तो इसका कोई नाम नहीं रखा गया है, लेकिन इसे ‘बकरी बैंक’ कहा जाता है। बकरियों के इस बैंक को बनाया है इलाहाबाद के पास स्थित कोरांव क्षेत्र की महिलाओं ने। इस पिछडे़ क्षेत्र में महिलाओं का एक समूह क्षेत्र की ही निर्धन महिलाओं को बकरियां ऋण के तौर पर देता है। बकरियों के बच्चे पैदा होने पर उनकी वापसी मूलधन और ब्याज की अदायगी के रूप में होती है। बैंक की कर्ताधर्ता अफरोजी गांव की प्रेमा और उनकी कुछ सहेलियां हैं। वे अपने परिश्रम तथा विवेक से क्षेत्र की महिलाओं को स्वावलंबी बनाने में जुटी हैं। इस पथरीले क्षेत्र में बकरियों के माध्यम से अतिरिक्त आय जुटाकर महिलाएं आर्थिक रूप से समृद्ध होना चाहती हैं। प्रेमा ने बताया कि करीब छह महीने पहले स्थापित इस बैंक में 40 महिलाएं सदस्य बन चुकी हैं। उनकी कोशिश है कि प्रत्येक सदस्य के पास कम से कम 20 बकरियों की पूंजी हो जाए और महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत बन जाएं। महिलाओं की आर्थिक मजबूती से न सिर्फ उनका मान-सम्मान बढे़गा, बल्कि वे अपने साथ पूरे परिवार का आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक स्तर को भी बढ़ा सकेंगी।
March 15th, 2011



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