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Wednesday, 9 March 2011

यूं ही नहीं बरपा हंगामा, 35 किलोमीटर सड़क ही गायब

नालागढ़ — प्रदेश के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन में सड़कों की बदहाली को लेकर हंगामा यंू ही नहीं मचा है, इलाके के संपर्क मार्गों से बदतर हालत तो राष्ट्रीय उच्च मार्ग की है। औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन से होकर गुजरने वाला एकमात्र राष्ट्रीय उच्च मार्ग खड्ड में तबदील हो चुका है, विशेषकर नालागढ़ से स्वारघाट तक के 35 किलोमीटर हिस्से में सड़क का नामोनिशान ही नहीं है। प्रदेश सरकार इसी क्षेत्र में उद्योगों को लाने की जोर-शोर से कवायद कर रही है, लेकिन आधारभूत ढांचे की खस्ता हालत को दुरुस्त करने की जहमत नहीं उठाई जा रही है। यही वजह रही है कि सरकारों के उपेक्षापूर्ण रवैये के खिलाफ उद्योगपतियों का गुस्सा फूट पड़ा है और उन्हें आमरण अनशन का ऐलान करना पड़ा। प्रदेश के इस प्र्रमुख औद्योगिक क्षेत्र में सैकड़ों उद्योग स्थापित हैं, जिन्हें रोजाना सड़कों की खस्ता हालत से खासी परेशानियों से दो चार होना पड़ता है, इस कारण जहां उनके वाहनों के खर्चे बढ़े हैं, वहीं उन्हें अपनी विस्तार योजनाएं भी रोकनी पड़ती हैं। नालागढ़ औद्योगिक क्षेत्र के प्रमुख सड़क मार्ग नालागढ़-स्वारघाट की हालत दिन-ब-दिन बद से बदतर होती जा रही है। इस सड़क मार्ग पर चिकनी खड्ड पर बना पुल वर्ष 2007 की बरसात में ढह गया था, तब से लेकर यहां आज तक नए पुल का निर्माण भी नहीं हो सका है। मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने अक्तूबर 2010 को चिकनी खड्ड पर नए पुल के निर्माण का शिलान्यास किया था, लेकिन अभी तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका। नालागढ़-स्वारघाट मार्ग विगत पांच वर्षों से अपनी उपेक्षा पर रो रहा है, लेकिन किसी ने इसकी सुध नहीं ली। इस मार्ग पर रोजाना हजारों वाहनों की आवाजाही रहती है, लेकिन उन्हें यहां सड़कों की जगह गड्ढे और धूल मिट्टी के गुबार ही नसीब हो रहे हैं। नालागढ़-स्वारघाट मार्ग पर जेपी सीमेंट उद्योग, ग्रीन प्लाई इंडस्ट्रीज, इंडेग रबड़ उद्योग, ओकाया वैटरीज, वीसीसी फ्यूबा सहित कई नामी उद्योग स्थापित हैं, जो वर्षों से सड़कों की हालत सुधरने की आस में हैं। यहां उल्लेखनीय है कि चिकनी खड्ड नदी पर पुल न होने की वजह से खड्ड के रास्ते वाहनों की आवाजाही होती है, जो बरसात के मौसम में जान दांव पर लगाने के समान है। बरसात के दौरान चिकनी नदी में दर्जनों वाहन हर साल बाढ़ में फंस कर क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, जबकि कई लोग जान को आफत में भी डाल चुके है। इसके अलावा 35 किलोमीटर लंबे इस मार्ग पर सड़कों पर पड़े गड्ढों के कारण कई हादसे भी हो चुके है, जिससे कई मासूम जिंदगियां बेवक्त मौत की नींद सो गईं। नालागढ़ के चंगर क्षेत्र के भुगतभोगी बाशिंदों ने कई दफा इस मार्ग को दुरुस्त करने की आवाज बुलंद की। अब जब नालागढ़ के उद्यमियों के सब्र का बांध टूट गया, तो उन्होंने नालागढ़ उद्योग संघ के बैनर तले आमरण अनशन का बिगुल फंूक दिया। उद्योगपतियों के सुर में सुर मिलाते स्थानीय विधायक हरिनारायण सैणी ने भी आमरण अनशन की घोषणा कर अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं। नालागढ़ में सड़कों की दुर्दशा से लोग कितने दुखी हैं, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उद्योग संघ की इस मुहिम में भाजपा-कांग्रेस सहित तमाम उद्योग संघ व अन्य संस्थाएं एकमत होकर समर्थन दे रही हैं। नालागढ़ उद्योग संघ के अध्यक्ष प्रेम शर्मा, प्रेस सचिव अनिल शर्मा ने कहा कि उनके आग्रह पर सरकारों के उदासीन रवैये ने उन्हें उद्योगहित व जनहित के लिए आमरण अनशन का कदम उठाने पर विवश किया। उधर, भाजपा विधायक हरिनारायण सैणी ने कहा कि नालागढ़ से भेदभाव अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और वह क्षेत्रहित व जनहित के लिए आमरण अनशन पर जरूर बैठेेंगे। उधर, प्रदेश कांग्रेस कमेटी सदस्य लखविंद्र राणा ने कहा कि उद्योग संघ नालागढ़ का कदम जनहित का कदम है, वह उनके साथ है। यह उपमंडल सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व देता है, लेकिन उसके बदले मिला कुछ भी नहीं। ट्रक यूनियन नालागढ़ के महासचिव विद्यारतन ने कहा कि नालागढ़-स्वारघाट मार्ग पर सड़क का नामोनिशान ही नहीं है। हर दिन ट्रकों की हालत बिगड़ रही है।
March 10th, 2011

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