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Tuesday, 15 March 2011

प्यास बुझाते हांफी हिमुडा पेयजल योजना

परवाणू — औद्योगिक क्षेत्र परवाणू में हिमुडा की पेयजल योजना करीब 37 वर्ष पुरानी है। इसके कारण उक्त पेयजल योजना बूढ़ी होती जा रही है और शहर की बढ़ती आबादी के आगे यह हांफती हुई दिखाई दे रही है। पुख्ता सूत्रों के अनुसार परवाणू में लगभग अढ़ाई हजार से ऊपर पानी के कनेक्शन लगे हुए हैं, जिनमें करीब 2100 से अधिक घरेलू पीने के पानी के कनेक्शन घरों में लगे हुए हैं, वहीं करीब साढ़े चार सौ के कामर्शियल कनेक्शन लगे हुए हैं। विभागीय आंकड़ों पर गौर करें, तो वर्ष 2006 में पीने के पानी के कनेक्शन कुल 2265 थे तथा पिछले पांच वर्षों में लगभग साढ़े तीन सौ कनेक्शनों की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिससे वर्ष 2011 में कुल कनेक्शनों का आंकड़ा अढ़ाई हजार पार कर गया है। जानकारों का कहना है कि परवाणू शहर के लिए वर्ष 1974 में बनी पेयजल योजना बूढ़ी होती जा रही है, जिसके कारण बढ़ती आबादी के आगे यह हांफने लगी है। करीब 37 वर्ष बूढ़ी हो चुकी मशीनों से बढ़ती आबादी की प्यास बुझाना कठिन होता जा रहा है। जानकारों का कहना है कि आबादी बढ़ रही है और वर्ष 1974 की पेयजल योजना शहर के लिए स्त्रोत है, जिस पर शहर की भारी भरकम आबादी आश्रित है। हैरानी यह है कि बढ़ती आबादी के बाद भी सरकार नहीं जाग रही है और इस मामले में नई पेयजल योजनाएं नहीं बनाई जा रही हैं। हिमुडा का कहना है कि परवाणू शहर की पेयजल योजना नगर परिषद अपने अधिकार में ले या फिर आईपीएच विभाग को यह सौंपी जाए। हिमुडा विभाग के सूत्रों की मानें, तो इस मामले में विभाग इन्फ्रास्ट्रक्चर में काफी पिछड़ता जा रहा है। पेयजल योजना की मशीनें बूढ़ी होती जा रही हैं, वहीं नई मशीनें खरीदने के लिए विभाग के हाथ खड़े हैं। दिलचस्प पहलू यह है कि इस मामले में विभाग का कोई आर्थिक मदद कहीं से नहीं आ रही हैं, वहीं विभाग को हर महीने करीब 50 फीसदी घाटा भी उठाना पड़ रहा है, क्योंकि पानी के बिलों से कमाई मात्र 50 फीसदी ही हो पाती है, जिससे बाकी का 50 फीसदी खर्चा विभाग को अपनी जेब से वहन करना पड़ता है। गर्मियों की दस्तक के साथ ही परवाणूवासियों को पीने के पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ेगा, क्योंकि हिमुडा की बूढ़ी होती पेयजल योजना बढ़ती आबादी के आगे हांफ सकती है। पिछले वर्ष भी गर्मियों में परवाणूवासियों को पीने के पानी की भारी किल्लत का सामना करना पड़ा था और शहरवासियों को हफ्ते में करीब दो बार ही पीने के पानी की सप्लाई हो सकी थी। इस मामले में हिमुडा परवाणू के अधिशाषी अभियंता उमेश शर्मा का कहना है कि परवाणू की पेयजल व्यवस्था नगर परिषद अपने हाथ में ले या फिर इसको आईपीएच टेकओवर करे। इस मामले में हिमुडा को कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।
March 16th, 2011

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