Advertisement

Texts















WELCOME TO INSIDE BADDI Addvertise With Us

Saturday, 26 February 2011

रिस्क ले, आगे बढ़े

कंपनियों में रिस्क मैनेजमेंट
कुछ पाने के लिए असर रिस्क लेने पड़ते है. जितना बड़ा खतरा, उतना बड़ा मुनाफा, रिस्क लेने पर ही अच्छे अवसर मिलते हैं. जिसे अवसरों की चाह नहीं, वह कभी रिस्क नहीं लेगा और जिंदगी में आगे भी नहीं बढ़ पाएगा. बिजनेस और लाइफ में कदमकदम पर आने वाले रिस्क को मैनेज करना भी एक कॅरियर बन चुका है.
    आज कड़ी प्रतियोगिता के चलते हर बिजनेस में रिस्क काफी बढ़ गया है, लेकिन जानकार कहते हैं कि रिस्क न हो, तो बिजनेस आगे नहीं बढ़ पाएगा और जिंदगी भी वहीं ठहर जाएगी. बिजनेस में रिस्क फैटर जितना द्गयादा होता है लाभ और उन्नति की संभावनाएं उससे भी द्गयादा होती हैं. जीवन में तमाम सुखसुविधाएं जुटाने के लिए असर रिस्क लेने पड़ते हैं.
वैसे, स्वाभाविक और काल्पनिक खतरों के बीच अंतर करना जरूरी है. तभी, उनका सामना करते हुए तमाम मौकों का लाभ लिया जा सकता है. रिस्क को पहचानने, उनका अनुमान लगाने और उनके आधार पर अह्‌म फैसले लेने की कला सभी के पास नहीं होती. जिसने इसे सीख लिया, वह बड़ी सफलता हासिल करता है. यह कला अब बाकायदा इंस्टीट्‌यूट में सिखाई जाने लगी है. इसे रिस्क मैनेजमेंट कहा जाता है.
    रिस्क मैनेजमेंट का प्रयोग कई क्षेत्रों में होता है. सबसे प्रमुख फाइनेंस सैटर. मौजूदा मंदी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था ने मजबूती दिखाई है, तो इसमें रिस्क मैनेजमेंट का भी योगदान है. बैंक भी लोन देते समय इसकी सहायता लेते है. किसी भी कंपनी के मैनेजमेंट के लिए यह जरूरी है कि तमाम स्थितियों के फायदे और नुसान का अनुमान लगाकर ही नया प्रोजेट शुरू करव्. बाढ़ और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए सामाजिक क्षेत्र में भी रिस्क मैनेजमेंट का प्रयोग किया जाता है. राष्ट्रीय सुरक्षा नीति और बेसिक डिजास्टर मैनेजमेंट प्लान इसी के अंतर्गत आते हैं. रिस्क मैनेजमेंट का सबसे कारगर हथियार है, इंश्योरव्ंस. हालांकि इन्श्योरव्ंस पॉलिसी खरीद लेना ही रिस्क मैनेजमेंट नहीं है. अच्छा रिस्क मैनेजर वह है, जो नुसान का पुर्वानुमान लगाकर उसे होने से रोक सके.
कोर्स
'रिस्क मैनेजमेंट' पढ़ाने की शुरूआत पश्चिमी देशों में दशकों पहले हो चुकी है, लेकिन भारत में यह विष्य अभी नया है. 'रिस्क मैनेजमेंट' अलग कोर्स के रूप में चुनिंदा इंस्टीट्‌यूट में ही उपलध है. द्गयादातर जगह इसे बिजनेस मैनेजमेंट के हिस्से के रूप में पढ़ाया जाता है. अलगअलग सैटर्स पर आधारित रिस्क मैनेजमेंट कोर्स भी चलाए जाते हैं, जैसे कमर्शियल, फाइनेंशियल, इंटरप्राइजेज रिस्क मैनेजमेंट आदि.
पर्सनेलिटी
'रिस्क मैनेजमेंट' में कॅरियर बनाने के लिए आपके अंदर ऐनॉलिटिकल पावर होनी चाहिए. जरूरी है कि आप रिस्क का सही अनुमान लगा सके. आपको अच्छा कम्यूनिकेटर भी होना चाहिए, तभी आप अपने एंप्लॉयर को खतरों के बारव् में प्रभावशाली तरीके से समझा सकेंगे. इस क्षेत्र में काम करने वालों को कभी धीरज नहीं खोना चाहिए.
प्रोफाइल
'रिस्क मैनेजमेंट' की शुरूआत रिस्क की पहचान से होती है. यह आपके काम का हिस्सा होगा. फिर इससे निपटने के लिए नीतियां और तकनीकें तैयार की जाती हैं. आपको स्टाफ और मैनेजमेंट को खतरों के बारव् में बताना होगा. यूनिट में रिस्क प्रीवेंटिव कल्चर विकसित करना होगा. कुल मिलाकर आपकी जिम्मेदारी बिजनेस को रिस्क से बचाकर रखने की होगी.
जॉबस
रिस्क मैनेजमेंट स्मार्ट कॅरियर के रूप में उभर रहा है, जिसमें रिस्क की पहचान वैल्यू कलैशन के लिए एसपर्ट की मांग बढ़ रही है. मौजूदा मंदी के चलते भी कंपनियों ने रिस्क मैनेजमेंट का महत्व पहचाना है. इंडियन इकॉनोमी की ग्रोथ २००ऽ१० में अनुमानित दर से बेहतर रहने की उम्मीद है. ऐसे में बिजनेस सेटर में काफी फैलाव होगा. इसमें रिस्क मैनेजर्स की जरूरत बढ़ेगी. विश्व बाजार के साथ लेनदेन, उदारीकरण, तमाम तरह के नियंत्रण. दुनियाभर में फैलते बाजार, बेहतर परफॉर्मेंस की प्रतियोगिता, शेयर होल्डर्स का बढ़ता दबाव, नई तकनीकें, नए प्रॉडट्‌स और सर्विसेज रव्ग्यूलेटरी अथॉरिटीज के कड़े नियम, सेफ्टी कोड की सख्ती जैसे कई मुद्दों के चलते सभी तरह के बिजनेस में रिस्क मैनेजमेंट का उपयोग बढ़ेगा. इंटरनेशनल कॉलेज ऑफ फायनेंशियल प्लानिंग नई दिल्ली के सीईओ अनीश वगि कहते हैं, रिस्क मैनेजर्स हमेशा असाधारण काम करते हैं. जिन्हें कर पाना कंपनी के अन्य लोगों के लिए संभव नहीं होता. भारत में रिस्क मैनेजमेंट का कॅरियर काफी नया है, इसलिए यहां संभावनाएं भी भरपूर हैं. उदाहरण के लिए सिर्फ इंश्योरव्ंस की ही बात करव्ं, तो रिस्क मैनेजमेंट के चलते यह क्षेत्र आज काफी आकर्ष्क कॅरियर बन चुका है. जनरल इंश्योरव्ंस में कॅरियर का काफी स्कॉप है और रिस्क मैनेजर्स टॉप पोजीशंस संभालते हैं.
बजाज कैपीटल के सीईओ संजीव बजाज के अनुसार, भारत में अगले तीन से पांच सालों में इंश्योरव्ंस सेटर में करीब तीन लाख जॉस पैदा होंगी, जिनमें से ५० हजार सिर्फ रिस्क मैनेजर्स की होंगी. रिस्क मैनेजर्स के रूप में आप विभिन्न क्षेत्रों में कार्य कर सकते हैं, जैसे स्मॉल, मीडियम और लार्ज स्केल इंडस्ट्रीज, सरकारी क्षेत्र, इंश्योरव्ंस कंपनी, बैंक, फाइनेंशियल सर्विसेज, कार्पोरव्ट एजेंट्‌स, इंश्योरव्ंस सर्वेयर, रिस्क मैनेजमेंट कंस्लटेंटख् आईटीईएस, एनजीओ, ट्रांसपोर्ट, इंजीनियरिंग कंपनी, डिफेंस, हॉस्पीटल, पैरामिलिट्री फोर्स, रिसर्च एंड डिेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशंस आदि.
इंस्टीच्यूट्‌स
पीजी डिप्लोमा इन कमर्शियल रिस्क मैनेजमेंट इंटरनेशनल कॉलेज ऑफ फाइनेंशियल प्लानिंग, बहादुरशाह जफर मार्ग, नई दिल्ली.
सर्टिफिकेट कोर्स ऑन इंटरप्राइज रिस्क मैनेजमेंट द इंस्टीच्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्‌स ऑफ इंडिया.
फाइनेंशियल इंजीनियरिंग एंड रिस्क मैनेजमेंट  इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ कैपिटल मार्केट्‌स, नवी मुंबई.
द इंटरनेशनल पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन रिस्क मैनेजमेंट इंस्टीच्यूट ऑफ इंश्योरव्ंस एंड रिस्क मैनेजमेंट, जुबली हिल्स, हैदराबाद.
 

0 comments:

Post a Comment

THANKS FOR COMMENT

Your Ad Here

Search This Blog

Advertise with us

Share

Twitter Delicious Facebook Digg Stumbleupon Favorites More