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Friday, 22 April 2011

बीबीएन के पानी में जहर

 नालागढ़ — प्रदेश की औद्योगिक राजधानी बीबीएन (बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़) के नदी-नालों में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की नाक तले बेपरवाह उद्योगपति और अनधिकृत स्कै्रप डीलरों द्वारा सरेआम जहर घोला जा रहा है। हालात यह है कि औद्योगिक क्षेत्र की नदियों का पानी इनसानों के साथ-साथ पशुओं के काबिल भी नहीं रहा है। प्रदेश सरकार व हाई कोर्ट ने कई मर्तबा बीबीएन में बढ़ते जल और वायु प्रदूषण का कड़ा संज्ञान लिया है और व्यवस्था सुधारने को कहा है, लेकिन हालात यह है कि बेपरवाह लोग सरेआम पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण मानकों की धज्जियां उड़ाने से गुरेज नहीं कर रहे। औद्योगिक क्षेत्र बीबीएन में स्थापित करीब तीन हजार उद्योगों से ठोस विषैले कचरे सहित कई अवशिष्ट पदार्थ निकलते है। इसके अलावा इन उद्योगों में केमिकल का भी इस्तेमाल होता है, जिन्हें ड्रमों में लाया जाता है तथा इस्तेमाल के बाद ड्रमों को अधिकृत स्क्रैप डीलरों को बेच दिया जाता है, जो इन्हें शोधित कर आगे बेचते हैं, लेकिन बीबीएन में हालात यह है कि उद्योगपति अपने उद्योगों से निकलने वाले केमिकल ड्रमों को अनधिकृत स्क्रैप डीलरों को बेच रहे हैं, जो सरसा नदी में इन केमिकल ड्रमों को धोते हैं, जिससे जहरीला केमिकल नदी के पानी में घुल कर इसे दूषित कर रहा है। सरसा नदी में पर्यावरण के दुश्मन बने स्क्रैप डीलरों द्वारा केमिकल ड्रमों के धोने का सिलसिला बदस्तूर जारी है तथा इन्हें सरेआम इस कारनामे को अंजाम देते हुए देखा जा सकता है। कहने को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने शिवालिक सालिड वेस्ट मैनेजमेंट सहित कुल नौ स्क्रैप डीलरों को केमिकल ड्रम लेने के लिए अधिकृत किया है, लेकिन उद्योगों से असलियत में यह ड्रम अनधिकृत स्क्रैप डीलरों के पास ही जा रहे है, जो प्रदूषण नियंत्रण के तमाम कायदे कानूनों को धत्ता बताकर पर्यावरण का बंटाधार करने में लगे हैं। इस गंभीर मसले पर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने आंखें मूंद रखी हैं। वैसे तो राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बीबीएन में केमिकल ड्रम लेने के लिए अधिकृत किए स्क्रैप डीलरों से ईटीपी प्लांट और बेपोरेटर लगवाए हैं, लेकिन यह डीलर भी इन्हें कभी-कभार ही चला रहे है तथा पैसे बचाने के लिए केमिकल ड्रमों को खुले में धो रहे हैं।  यहां उल्लेखनीय है कि बीबीएन के उद्योगों से हर साल लाखों की तादाद में केमिकल के ड्रम निकलते हैं, लेकिन बोर्ड के पास अधिकृत डीलरों के माध्यम से जो आंकड़ा आता है, वह नाममात्र होता है, जिससे यह साफ हो गया है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों की सुस्ती का उद्योगपति व अनाधिकृत स्क्रैप डीलर जमकर फायदा उठा रहे हैं और क्षेत्र की आबोहवा में निरंतर जहर घुलता जा रहा है। बीबीएन के नदी-नालों में बढ़ते प्रदूषण से पर्यावरण प्रेमी, सरकार और हाई कोर्ट चिंतित है, लेकिन संबंधित महकमा मौन धारण किए हुए हैं, जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण के दुश्मनों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। यही वजह रही है कि यहां पानी में प्रदूषण का स्तर साल-दर-साल बढ़ रहा है। पर्यावरण संरक्षण संस्था हिम परिवेश के महासचिव बालकृष्ण शर्मा ने कहा कि अनधिकृत स्क्रैप डीलर क्षेत्र की नदियों को सरेआम दूषित कर रहे हैं, लेकिन बोर्ड के अधिकारियों ने आंखें बंद कर रखी हैं।  शिवालिक ठोस कचरा प्रबंधन संयंत्र के सीईओ अशोक शर्मा ने कहा कि उद्योगों से जितने ड्रम निकलते है, उतने बोर्ड के  अधिकृत डीलरों को नहीं मिलते। उन्होंने कहा कि कई अधिकृत डीलर भी नियमों की उल्लंघना कर रहे हैं। उधर, इस बाबत राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के बद्दी स्थित अधीक्षक अभियंता चेतन जोशी ने कहा कि बोर्ड ने उद्योगों को कड़े निर्देश दिए हैं कि केमिकल ड्रम अधिकृत डीलरों को ही दिए जाएं, अगर कोई ऐसा मामला सामने आता है, तो कड़ी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। उन्होंने कहा कि नदी-नालों में केमिकल ड्रम धोने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया जाएगा।
April 23rd, 2011

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